Saturday, June 11, 2016

संध्याकाळ

 

मावळत्या सूर्याची 
चोरपावली रात्रीची 
उदास मनाची 
कधीतरी केंव्हातरी 
रम्य भासून गेलेली 
एक स्तब्ध संधाकाळ ……....
सुकल्या फुलाची 
उसासत्या मेहेन्दीची 
निसटल्या क्षणांची 
अस्पष्ट हुंकाराची 
दिर्घ उच्छ्वासाची 
नि:शब्द संध्याकाळ ……....
प्रियेच्या विरहाची 
विरहाच्या वेदनेची 
थकल्या डोळ्यांची 
ओघळत्या आसवांची 
निष्ठुर संधाकाळ ……......
व्याकूळ मनाची 
दबकत येणारी 
सरता न सरणारी 
एकाकी संध्याकाळ …….....                                                                 नितिन उपाध्ये

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